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Thursday 31 August 2017

!!! प्रकृति कीर्तन !!!


माँ धरणी सदा ही तुम सजती रहो,
माँ भरणी सदा ही तुम फलती रहो,
शुद्ध परिसर मलयज  बहे  गंध  घोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल हरि बोल।

काटेंगे माँ  हम  रोयें  तुम्हारे,
बोए हरित वन जो पुरखे हमारे,
बिन तरु के मरु में क्या जीवन का मोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल हरि बोल।

पोषित जो करते अहर्निश हमीं को,
खेतों को दूषित सरिता जमीं को,
ना दूषित करेंगे हम जल के हिलोर,
जय जय राधा रमण हरि बोल हरि बोल।

आँगन में नदियाँ बहे अनवरत माँ,
यही प्रार्थना हम करोड़ों करत माँ,
है गंगा किनारे ही प्रगति का भोर,
जय जय राधा रमण हरि बोल हरि बोल।

                      अरुण तिवारी