आप सभी को केसरिया होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ.....
वैसे तो रंगों की ऋतु है,
दिखते नित नव रंग बहुत हैं,
पर रंग तुम्हारा तो तन मन है माथे की रोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
सजो मुरलीधर हे नटरंग,
सजो चतुरंग सजो सतरंग,
गूँज़ भरो फिर कानों में फिर मृदु मुरली की बोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
रसपान न कुछ मद भांग नहीं,
व द्वेष न राग अनुराग नहीं,
कृष्ण नशा हो एक तुम्हारा झूमें पूरी टोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
झूलेंगे झूले झूमेंगे,
मधुवन फिर सारा घूमेंगे,
फिर आओ वैकुंठ छोड़ हो चोरी हँसी ठिठोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
राह त्हारो तकत चरईया,
प्रहर प्रहर व ग्वाल गवईया,
बूचड़खानों से बच पाईं जो भी गईयाँ भोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
- ©अरुण तिवारी
वैसे तो रंगों की ऋतु है,
दिखते नित नव रंग बहुत हैं,
पर रंग तुम्हारा तो तन मन है माथे की रोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
सजो मुरलीधर हे नटरंग,
सजो चतुरंग सजो सतरंग,
गूँज़ भरो फिर कानों में फिर मृदु मुरली की बोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
रसपान न कुछ मद भांग नहीं,
व द्वेष न राग अनुराग नहीं,
कृष्ण नशा हो एक तुम्हारा झूमें पूरी टोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
झूलेंगे झूले झूमेंगे,
मधुवन फिर सारा घूमेंगे,
फिर आओ वैकुंठ छोड़ हो चोरी हँसी ठिठोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
राह त्हारो तकत चरईया,
प्रहर प्रहर व ग्वाल गवईया,
बूचड़खानों से बच पाईं जो भी गईयाँ भोली,
श्याम मनोहर रँगकर अपने रँग से खेलो होली।
- ©अरुण तिवारी