उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
सिद्ध है की लिप्त है अंदर कहीं तो बंद है,
जो निरंतर छेड़ता मन छेड़ता हर छंद है,
बीज अंदर स्वप्न के बोता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
बना प्रतिबिंब कल का कल्पनाओं के पटल पर,
हो, जाता है ओझल छाप जिसकी है अटल पर,
चेतना भरता भी व हरता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
व देख कर वो जो हमारी दृष्टि से इस सृष्टि को,
व धूप छू कर जो हमारी ही त्वचा से वृष्टि को,
झूमता अंदर कहीं गाता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
जो भरता है मन भावों से जो रचता प्रणय को,
बना देता है जो क्रोधित द्रवित निष्ठुर ह्रदय को,
अश्रु सहसा क्लेश सब धोता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
कौन है जो अचानक आस भर देता है मन में,
शिथिलता तोड़ सारी जान भर देता है तन में,
जब कदम रूकता उठा देता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
कौन कहता है चलो तुम धुन में मेरी तुम बहो?
हम तो समझे तुम मुरारी तुम नहीं तो तुम कहो,
तुम बताओ शक्ति दे जाता है जो वो कौन है?
उर प्रेरणा बन स्फुटित होता है जो वो कौन है?
- © अरुण तिवारी